🌸 प्रेरणादायक कहानी – “बेटी का साहस”
एक छोटे से कस्बे में दो युवा रहते थे—अर्जुन और सुमन। दोनों एक-दूसरे से गहरा प्रेम करते थे।
एक दिन अर्जुन ने सुमन से पूछा –
अर्जुन: “हमारा भविष्य क्या है?”
सुमन (हल्की मुस्कान के साथ): “भविष्य? शादी।”
अर्जुन तुरंत बोला –
अर्जुन: “लेकिन तुम्हारे माँ-बाप कभी नहीं मानेंगे। अगर वे नहीं माने, तो हम भागकर शादी कर लेंगे।”
यह सुनकर सुमन की आँखों में गुस्सा और आँसू एक साथ भर आए।
वह दृढ़ स्वर में बोली –
सुमन: “आज कह दिया, लेकिन आगे से यह बात दोबारा मत कहना। शादी हो या न हो, पर मैं भ्रूण हत्या की भागीदार कभी नहीं बनूँगी।”
अर्जुन चौंक गया।
अर्जुन: “लेकिन शादी और भ्रूण हत्या का क्या संबंध है? मैं समझा नहीं।”
सुमन की आवाज़ भारी हो गई, जैसे उसके भीतर वर्षों का दर्द उमड़ पड़ा हो।
सुमन: “अर्जुन, एक पिता अपनी बेटी को बेटे से भी ज्यादा प्यार करता है। लेकिन जब कोई लड़की अपने माता-पिता की मरज़ी के खिलाफ जाकर घर से भागकर शादी करती है, तो समाज उसे कलंक की तरह देखता है। उस एक कदम की वजह से न जाने कितनी मासूम बच्चियों को जन्म लेने से पहले ही मार दिया जाता है। माँ-बाप को बेटियाँ बुरी नहीं लगतीं, उन्हें यह डर चुभता है कि कहीं उनकी बेटी भी बड़ी होकर उनके लिए ‘कलंक’ न बन जाए। और इस डर की आग में कई बेटियों की बलि चढ़ जाती है।”
सुमन ने आँसू पोंछते हुए आगे कहा –
सुमन: “अगर मैं भागकर शादी करूँगी, तो शायद हमारा प्यार तो जीत जाएगा, पर उस जीत की कीमत समाज की कई अजन्मी बेटियों की मौत होगी। मैं अपने प्यार की कीमत मासूम ज़िंदगियों से नहीं चुका सकती।”
अर्जुन निःशब्द हो गया। उसके पास कोई जवाब नहीं था। लेकिन उस दिन उसने सुमन की आँखों में सिर्फ प्रेम नहीं, बल्कि समाज को बदलने की ताक़त भी देखी।
✨ संदेश
सच्चा प्यार वही है, जिसमें न सिर्फ एक-दूसरे की खुशी हो, बल्कि समाज की भलाई भी छुपी हो।
बेटियाँ बोझ नहीं हैं, वे परिवार और समाज की शान हैं। हर बेटी का जन्म सुरक्षित होना चाहिए, तभी इंसानियत की सच्ची जीत होगी।
🌿 प्रेरणादायक कहानी – “चिंता नहीं, समाधान खोजो”
कई साल पहले एक छोटे से गाँव में एक संत महात्मा आकर बसे। उनकी वाणी में गजब की शांति और आँखों में गहरा स्नेह था। धीरे-धीरे गाँव के लोग अपनी परेशानियाँ लेकर उनके पास आने लगे। कोई धन की कमी की शिकायत करता, कोई रिश्तों की उलझन, तो कोई अपनी मेहनत का फल न मिलने की बात।
बाबा हर किसी को धैर्यपूर्वक सुनते और सरल-सी बात कहते –
“संयम रखो और मेहनत करते रहो, समय जरूर बदलेगा।”
पहले तो लोगों को बड़ी राहत मिली। उन्हें लगा मानो उनके दुख हल्के हो गए। लेकिन एक महीना बीतते ही सब फिर से उन्हीं परेशानियों के साथ बाबा के पास पहुँचने लगे। वही बातें, वही शिकायतें, वही आंसू।
बाबा ने सोचा – “अगर ये लोग बार-बार चिंता ही करते रहेंगे, तो असली रास्ता कैसे पाएँगे?”
एक दिन उन्होंने सबको गाँव के बड़े पेड़ के नीचे बुलाया। सभी लोग उत्सुक थे कि बाबा आज कौन-सी नई सीख देंगे।
बाबा ने सबको बैठाया और मुस्कुराते हुए एक मज़ेदार चुटकुला सुनाया।
पूरा गाँव ठहाकों से गूंज उठा।
थोड़ी देर बाद बाबा ने वही चुटकुला फिर से सुनाया।
इस बार कुछ ही लोग हँसे, बाकी बस मुस्कुराकर रह गए।
जब बाबा ने तीसरी बार वही चुटकुला सुनाया, तो कोई भी नहीं हँसा।
सभी चुपचाप उनकी ओर देखने लगे।
बाबा ने शांत स्वर में कहा –
“बेटा, जब तुम एक ही मज़ाक पर बार-बार हँस नहीं सकते, तो फिर एक ही समस्या पर बार-बार रोते क्यों हो? चिंता करने से दुख हल नहीं होता, बल्कि और गहरा हो जाता है। समाधान तभी मिलेगा जब तुम चिंता छोड़कर कदम बढ़ाओगे।”
गाँव वालों की आँखें खुल गईं। उस दिन से उन्होंने शिकायत कम और कर्म ज़्यादा करना शुरू किया।
🌸 सीख
👉 समस्या पर रोते रहने से कुछ नहीं बदलता। समाधान तभी आता है जब हम साहस और कर्म से उसका सामना करते हैं। चिंता नहीं, कर्म ही जीवन बदलता है।
अच्छा हो मज़ाक (प्रेरणादायक कथा)
गर्मियों की दोपहर थी। कुछ बालक खेतों से होकर गुजर रहे थे। उनके मन में शरारत की लहरें उठ रही थीं। वे आपस में हंसते-खेलते आगे बढ़ रहे थे कि अचानक उनकी नज़र एक पेड़ के नीचे पड़े पुराने जूतों पर पड़ी।
वे जूते पास ही खेत में मेहनत कर रहे एक किसान के थे। किसान धूप में पसीना बहा रहा था, और उसके कपड़ों पर मिट्टी और पसीने की परत जमी हुई थी। किसान दिन-रात मेहनत करता था ताकि अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटा सके।
बच्चे किसान को देख रहे थे, लेकिन उनका ध्यान उसके जूतों पर था।
एक बच्चा बोला –
“चलो, इन जूतों में कंकड़ डाल देते हैं। जब किसान इन्हें पहनकर चलेगा तो उसके पैरों में चुभेंगे। उसे पता ही नहीं चलेगा कि यह किसने किया। मज़ा आएगा उसकी हालत देखकर।”
सभी बच्चे ठहाका मारकर हंस पड़े और योजना बनाने लगे। लेकिन तभी उनमें से एक बालक गंभीर स्वर में बोला –
“दोस्तों, जरा सोचो… अगर कंकड़ चुभे तो किसान को दर्द होगा। वह बेचारा दिन भर मेहनत करता है। हमें हंसने के लिए उसके दुख से खेलना क्या सही है? अगर मजाक ही करना है तो ऐसा करें जिससे उसके चेहरे पर मुस्कान आए, आँसू नहीं।”
बाकी बच्चे चुप हो गए। उस बालक ने सुझाव दिया –
“हम एक अच्छा मजाक कर सकते हैं। चलो, हम अपने-अपने पास जो भी सिक्के हैं, उन्हें मिलाकर किसान के जूतों में डाल देते हैं। जब वह इन्हें पहनेगा और पैसे पाएगा तो उसके चेहरे पर खुशी देखना… वही असली मज़ा होगा।”
बच्चों को यह विचार पसंद आया। सबने आपस में सिक्के इकट्ठे किए और किसान के जूतों में डाल दिए। फिर वे पास के पेड़ के पीछे जाकर छुप गए।
कुछ देर बाद किसान अपने काम से लौटा। उसने थकान से भरे कदमों के साथ जूते पहने। जूतों में कुछ असामान्य महसूस हुआ। उसने अंदर हाथ डाला और जब सिक्के निकाले तो उसकी आँखें आश्चर्य और खुशी से चमक उठीं।
उसने चारों ओर देखा और ज़ोर से आवाज लगाई –
“भाई! ये पैसे किसके हैं? किसी ने गलती से रख दिए क्या?”
लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
किसान ने हाथ जोड़कर आसमान की ओर देखा और भावुक होकर बोला –
“धन्यवाद, भगवान! आप ही जानते हैं कि मेरे घर में अनाज खत्म हो गया है। आज इन पैसों से मैं अपने बच्चों के लिए रोटी और दवा ला पाऊंगा। आपने मेरी पुकार सुन ली।”
उसकी आँखों से आँसू बह निकले, पर इस बार ये आँसू दुख के नहीं बल्कि कृतज्ञता और राहत के थे।
पेड़ के पीछे खड़े बच्चे यह दृश्य देखकर गहरी खुशी से भर गए। उन्हें समझ आया कि सच्चा मजाक वही है, जो किसी के चेहरे पर दर्द नहीं बल्कि मुस्कान लाए।
शिक्षा
👉 हंसी-मजाक करना अच्छी बात है, पर ऐसा मजाक मत करें जिससे किसी का दिल दुखे या किसी को तकलीफ पहुंचे।
👉 असली आनंद तब है जब आपके कारण किसी के चेहरे पर खुशी, राहत और दुआ आए।
👉 जीवन में अवसर मिले तो दूसरों को कष्ट देने के बजाय राहत दीजिए, क्योंकि इंसान की सबसे बड़ी नेकी वही है जो दूसरों की मुस्कान का कारण बने।
बुरा समय बीत जाएगा (प्रेरणादायक कथा)
बहुत समय पहले की बात है। एक नगर में एक राजा शासन करता था। राजा बुद्धिमान था, प्रजा से प्रेम करता था और अपने राज्य की रक्षा के लिए सदा तत्पर रहता था। लेकिन एक बात उसे अक्सर परेशान करती थी—जब भी कठिनाई आती, उसका मन बहुत जल्दी टूट जाता। वह सोचने लगता कि अब सब खत्म हो गया है।
इसी दौरान एक दिन नगर में एक विद्वान संत आए। उनका तेज और साधना देखकर नगरवासी उन्हें आदर से बुलाने लगे। राजा ने भी उन्हें अपने महल में बुलाया और अतिथि के रूप में आदर-सत्कार किया। संत राजा की सेवा और नम्रता से बहुत प्रसन्न हुए।
जब संत विदा होने लगे तो राजा से बोले—
“राजन, जीवन में सुख-दुख, हार-जीत, उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं। लेकिन जब संकट आए तो तुम्हारा मन बहुत जल्दी विचलित हो जाता है। इसलिए मैं तुम्हें एक ताबीज दे रहा हूँ। इसे गले में धारण कर लो। जब कभी तुम्हें लगे कि सब कुछ समाप्त हो गया है, कोई रास्ता नहीं बचा, तभी इसे खोलकर पढ़ना। उससे पहले कभी मत खोलना।”
राजा ने श्रद्धा से वह ताबीज ग्रहण किया और गले में पहन लिया।
कुछ समय तक सब कुछ ठीक चला, परंतु फिर एक दिन अचानक पड़ोसी राज्य ने आक्रमण कर दिया। युद्ध हुआ। राजा ने पूरी शक्ति से शत्रुओं का सामना किया, लेकिन शत्रु की सेना संख्या और सामर्थ्य में अधिक थी। अंततः राजा की सेना हार गई।
राजा को अपने प्राणों की रक्षा के लिए जंगल की ओर भागना पड़ा। वह अकेला, भूखा-प्यासा और थका हुआ एक अंधेरी गुफा में जा छिपा। बाहर शत्रु सैनिक उसकी खोज में घूम रहे थे। उनकी तलवारों की झंकार और भारी कदमों की आवाजें गुफा तक आ रही थीं।
राजा का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उसे लगा—
“सब खत्म हो गया। अब बचना असंभव है। सैनिक मुझे पकड़ लेंगे और अपमानित करके मार डालेंगे।”
तभी अचानक उसे संत की बात याद आई। उसने तुरंत ताबीज खोला और उसमें रखा हुआ कागज निकाला। उस पर केवल चार शब्द लिखे थे—
“यह समय भी कट जाएगा।”
राजा ने यह वाक्य कई बार पढ़ा। जैसे ही उसने पढ़ा, उसके मन पर पड़ा भय का बोझ हल्का होने लगा। उसे लगा कि यह अंत नहीं है, बल्कि कठिनाई का एक दौर है, जो भी बीत जाएगा।
कुछ देर बाद उसने देखा—बाहर सैनिकों के कदमों की आवाज धीरे-धीरे दूर होती जा रही है। अंततः शत्रु सैनिक बिना राजा को पाए वहां से चले गए।
राजा ने राहत की सांस ली। वह गुफा से बाहर निकला और धीरे-धीरे अपने राज्य की ओर लौट गया।
राजा ने उस दिन एक बहुत बड़ी शिक्षा पाई—
संकट कितना भी बड़ा क्यों न हो, वह सदा के लिए नहीं टिकता। समय बदलता है, और अंधेरे के बाद सूरज अवश्य निकलता है।
सीख
👉 अच्छे दिन हों या बुरे दिन, दोनों ही स्थायी नहीं होते।
👉 बुरे समय में धैर्य रखें और विश्वास बनाए रखें कि यह कठिन दौर भी बीत जाएगा।
👉 जैसे सुख का अहंकार नहीं करना चाहिए, वैसे ही दुख से घबराना भी नहीं चाहिए।
👉 जीवन का सबसे बड़ा मंत्र यही है—“यह समय भी कट जाएगा।”