Story: “Parents’ Shadow” (Mata-Pita Ka Saya)

Story: “Parents’ Shadow” (Mata-Pita Ka Saya)

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कहानी: “माँ-बाप का साया
Daya Shankar 

अध्याय 1: गांव में एक परिवार

किसी छोटे से गांव में एक परिवार रहता था। इस परिवार में चार सदस्य थे: रामू, उसकी पत्नी सरिता और उनके दो बच्चे, सोनू और मोनू। रामू एक किसान था और सरिता घर का कामकाज संभालती थी। दोनों बच्चों को अच्छे संस्कार दिए थे और मेहनत की महत्वता सिखाई थी।

रामू और सरिता का जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों के लिए कभी हार नहीं मानी। वे चाहते थे कि उनके बच्चे पढ़-लिख कर कुछ बड़ा करें और समाज में अपनी पहचान बनाएं।

सोनू और मोनू पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। वे हमेशा अपने माता-पिता की बातें मानते और उनकी इज्जत करते थे। दोनों भाई-बहन अपने माता-पिता के हर संघर्ष को देख कर समझते थे और इसलिए वे खुद भी कड़ी मेहनत करते थे।

अध्याय 2: संघर्षों का दौर

रामू के खेत में अच्छी फसल नहीं हुई और परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। रामू ने कई रातें जागकर सोचा कि वह कैसे अपने बच्चों की पढ़ाई जारी रखेगा। सरिता ने रामू को सांत्वना दी और कहा, “हम मिलकर कोई रास्ता निकाल लेंगे। हमारे बच्चों की पढ़ाई रुकेगी नहीं।”

रामू ने अपने खेत को छोड़कर शहर में काम करने का फैसला किया। उसने सोचा कि अगर वह शहर में मेहनत करेगा तो बच्चों की पढ़ाई का खर्च निकाल सकेगा। रामू ने अपने बच्चों से वादा किया कि वह जल्द ही वापस आएगा और उन्हें हमेशा सपोर्ट करेगा।

अध्याय 3: शहर की कठिनाइयाँ

शहर में रामू ने कई तरह के छोटे-मोटे काम किए। कभी मजदूरी की, कभी किसी दुकान पर काम किया। उसने हर संभव कोशिश की कि वह पैसे बचा सके और अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए भेज सके।

उधर गाँव में, सरिता ने भी हाथ बंटाने का फैसला किया। उसने घर में सिलाई-बुनाई का काम शुरू किया और बच्चों की पढ़ाई का ख्याल रखा। सोनू और मोनू ने भी घर के कामों में अपनी माँ की मदद की और अपनी पढ़ाई को प्राथमिकता दी।

अध्याय 4: मेहनत का फल

रामू की मेहनत रंग लाई। उसने बच्चों की पढ़ाई का खर्च जुटा लिया। सोनू ने डॉक्टर बनने का सपना देखा था और मोनू इंजीनियर बनना चाहता था। दोनों ने अपने सपनों की ओर कदम बढ़ाए और कड़ी मेहनत की।

कुछ सालों बाद, सोनू डॉक्टर बन गया और मोनू ने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। दोनों भाई-बहन अपने माता-पिता के संघर्षों को नहीं भूले थे। उन्होंने अपने माता-पिता के हर सपने को पूरा करने की ठानी।

अध्याय 5: माता-पिता का सम्मान

सोनू और मोनू ने अपने माता-पिता को शहर बुलाया और उनके लिए एक नया घर बनवाया। रामू और सरिता के आंखों में आँसू थे, लेकिन ये आँसू खुशी के थे। उनके बच्चों ने उनके संघर्षों का मूल्य समझा और उन्हें जीवन में सम्मान दिलाया।

सोनू और मोनू ने अपने माता-पिता से वादा किया कि वे हमेशा उनका सम्मान करेंगे और उन्हें कभी किसी चीज की कमी नहीं होने देंगे।

अध्याय 6: अंत में

रामू और सरिता अपने बच्चों पर गर्व महसूस करते थे। उन्होंने अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दिए थे और बच्चों ने उन संस्कारों को अपनाया। यह कहानी इस बात का सबूत है कि मेहनत, संघर्ष और अच्छे संस्कार हमेशा फल देते हैं।

यह कहानी बच्चों और युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है कि वे अपने माता-पिता का सम्मान करें, उनकी मेहनत और संघर्ष को समझें और अपने जीवन में उन्हें कभी भूलें नहीं।

माता-पिता का साया हमेशा बच्चों पर बना रहता है और उनके आशीर्वाद से ही बच्चे अपने जीवन में सफल होते हैं। बच्चों को चाहिए कि वे अपने माता-पिता की इज्जत करें, उनकी बातें मानें और उन्हें हमेशा खुश रखें।

यह कहानी इस संदेश के साथ समाप्त होती है कि मेहनत, संघर्ष और अच्छे संस्कार ही जीवन में सफलता का आधार होते हैं। बच्चों और युवा पीढ़ी को अपने माता-पिता का सम्मान करना चाहिए और उनकी मेहनत को समझना चाहिए।

…THE END…