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Peeli Chhatri Wali Ladki-By Uday Prakash ,   यह एक स्त्री विमर्श है। इसमें एक युवक व एक के बीच प्रेम की कहानी पेश की गई है, जिसके रास्ते में जाति व्यवस्था, सामाजिक मूल्य और उपभोक्ता संस्कृति रुकावटें हैं। लेकिन यह कहानी उससे कहीं परे तक सामाजिक-राजनीतिक विमर्श में दख़लंदाज़ी करती है।

राहुल के दिल में प्यार आता है और यह प्यार विद्रोह नहीं, लेकिन दो स्तरों पर भीतर घात करता है। पहली बात कि राहुल का मर्दवादी रुख़, जिसका परिचय हमें शुरु में ही उसके कमरे में माधुरी दीक्षित के पोस्टर के प्रकरण से मिलता है, टूट-टूटकर चूर हो जाता है। बाद में दोनों का प्यार मनुवादी मान्यताओं पर आधारित और आज़ादी के बाद भारत की उपभोक्ता संस्कृति में पनपी मान्यताओं को अंदर से तोड़ने लगता है।

अंत में पलायन- और यह पलायन भी भीतरघात है, समाज में प्रचलित मान्यताओं को स्पष्ट रूप से ठुकराना है। कहानी के आरंभ में बॉलीवुड है, अंत भी बॉलीवुड की तरह सुखान्त है। लेकिन समूचे विमर्श में बॉलीवूड के विपरीत स्पष्ट तात्पर्य है।

इसमें वर्तमान में जो जातिगत सामाजिक अंतर विरोध और जो एक दुराव जैसी भावना बह रही है उसका बखूबी चित्रण किया गया है लेकिन लेखक की मानसिकता क्या है इसका परिचय हमें प्राप्त नहीं होता। लेखक ने यह कार्य अपने शुधी पाठकों पर छोड़ दिया है।