संक्षिप्त रामायण के कुछ मुख्य भाग: राम-रावण युद्ध के बाद
राम-रावण युद्ध के बाद की घटनाएं रामायण की कथा में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इनमें सीता माता की रिहाई, विभीषण का राजा बनना, सीता माता की अग्निपरीक्षा, राम और सीता का अयोध्या लौटना, और राम-भरत मिलन शामिल हैं। यह पूरा घटनाक्रम रामायण के समापन की ओर ले जाता है और हमें धर्म, सत्य और न्याय का संदेश देता है।
विभीषण का राजा बनना
राम ने विभीषण को लंका का नया राजा बनाया और उन्हें न्यायपूर्ण शासन करने का आशीर्वाद दिया। लक्ष्मण, हनुमान जी और उनके साथियों ने विभीषण के साथ लंका जाकर विभीषण का राज्यतिलक किया। और उनको लंका का नया राजा बनाया।
राम (विभीषण से): “हे विभीषण, तुम लंका के नए राजा हो। मुझे विश्वास है कि तुम अपने राज्य का न्याय और धर्म के साथ शासन करोगे।”
विभीषण (विनम्रता से): “प्रभु, आपकी कृपा से ही मुझे यह अवसर मिला है। मैं आपके आदर्शों का पालन करूंगा और अपने राज्य का भला करूंगा।”
सीता माता की रिहाई
राम ने रावण का वध करने के बाद विभीषण को आदेश दिया कि वे सीता माता को सम्मानपूर्वक लाएं।
राम (विभीषण से): “हे विभीषण, अब तुम लंका के राजा हो। कृपया सीता को सम्मानपूर्वक लाओ। मैं उनसे मिलना चाहता हूँ।”
विभीषण, नए राजा के रूप में, सीता माता के पास गए और उन्हें राम के पास ले आए।
विभीषण (सीता से): “हे देवी, भगवान राम ने रावण का वध कर दिया है और अब वे आपका इंतजार कर रहे हैं। कृपया मेरे साथ चलें।”
सीता माता की अग्निपरीक्षा
सीता माता को लाने के बाद, राम ने उनकी पवित्रता पर संदेह करने वाले लोगों के सामने उनकी अग्निपरीक्षा का आयोजन किया।
राम (सीता से): “हे सीता, मुझे तुम पर पूरा विश्वास है, लेकिन लोगों के संदेह को दूर करने के लिए तुम्हें अग्निपरीक्षा देनी होगी।”
सीता माता ने अग्नि में प्रवेश किया और अग्निदेव ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला, जिससे उनकी पवित्रता प्रमाणित हुई।
अग्निदेव (प्रकट होकर): “हे राम, सीता माता पूर्णतः पवित्र हैं। अग्नि ने उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।”
अयोध्या लौटना
राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान ने अयोध्या लौटने का निर्णय लिया। उन्होंने विभीषण से विदा ली और पुष्पक विमान में सवार होकर अयोध्या के लिए प्रस्थान किया।
राम (विभीषण से): “हे विभीषण, अब हमें अयोध्या लौटना होगा। हमें वहां के लोगों का ख्याल रखना है।”
विभीषण (विनम्रता से): “प्रभु, आपका मार्गदर्शन हमेशा हमारे साथ रहेगा। आप सभी का शुभ मार्ग हो।”
राम-भरत मिलन
अयोध्या पहुँचने पर, भरत ने राम का स्वागत किया। भरत ने राम की खड़ाऊं को सिंहासन पर रखा था और उनका पुनः स्वागत करते हुए कहा:
भरत (राम से, आंसू भरी आँखों से): “प्रभु, मैंने आपकी खड़ाऊं को सिंहासन पर रखा था और आपके वापस आने का इंतजार किया। अब आपका राज्य संभालने का समय आ गया है।”
राम (भरत से, प्रेमपूर्वक): “हे भरत, तुमने धर्म और कर्तव्य का पालन किया। अब हम सब मिलकर अयोध्या का कल्याण करेंगे।”
राज्याभिषेक और समापन
राम का अयोध्या में भव्य स्वागत हुआ और उनका राज्याभिषेक किया गया। सभी लोग आनंदित हुए और अयोध्या में सुख-शांति का वातावरण बना।
राम (लोगों से): “हे अयोध्यावासियों, अब हम सब मिलकर इस राज्य को धर्म, न्याय और सत्य के मार्ग पर आगे बढ़ाएंगे।”
लोग (समवेत स्वर में): “जय श्री राम!”
रामायण की यह अंतिम घटनाएं हमें यह सिखाती हैं कि सत्य, धर्म और कर्तव्य का पालन करने से ही जीवन में सफलता और शांति प्राप्त होती है। राम, सीता, लक्ष्मण, भरत और विभीषण सभी ने अपने-अपने कर्तव्यों का पालन किया और हमें आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा दी। यह कथा हमें यह भी सिखाती है कि कठिनाइयों का सामना करके और अपने आदर्शों पर अडिग रहकर हम सच्ची सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
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