हवा के झोंकों में गीत सुनाती
हवा के झोंकों में गीत सुनाती,
नदियाँ कल-कल राग सुनाती।
सूरज की किरणें गुनगुन करतीं,
फूलों की खुशबू मन बहलाती।
पेड़ों की छाया शीतल छूए,
पंछी चहकें, मन को छूए।
हरियाली की चादर फैली,
धरती माँ की गोदी महकी।
झरनों की बूँदें मोती जैसी,
चाँदनी रातें सपना जैसी।
सागर की लहरें गले लगातीं,
तट की रेतें कहानियाँ गातीं।
बादल बरसें प्रेम के जैसे,
इंद्रधनुष के रंग हो जैसे।
कण-कण में जीवन मुस्काता,
प्रकृति का हर रूप लुभाता।
संभालो इसको, सहेज लो प्यार से,
यह ही जीवन, यह ही आधार है।
प्रकृति के सुर में सुर मिलाओ,
इसके स्नेह को हृदय लगाओ! 🌿💚
चलो चलें उस वन की छाया
चलो चलें उस वन की छाया,
जहाँ हवा गाए मधुर सुर लय,
जहाँ नदी की मीठी धारा,
बहती जैसे प्रेम प्रलय।
फूलों की कोमल मुस्कानें,
रंग-बिरंगे सपने बुनें,
ओस की बूँदें मोती जैसी,
सुनहरे पत्तों पर गिरें।
सूरज की किरणें गुनगुनाती,
हर पत्ती को छूती जाएं,
चाँदनी बिखेरे शीतल चादर,
तारों संग गीत वो गाएं।
पंछी नभ में पंख पसारे,
स्वतंत्र गगन में उड़ते जाएं,
कभी बुलाएँ प्रेम के स्वर में,
कभी गीत खुशियों के गाएं।
ओ धरती माँ! तेरा आँचल,
रखता हमें सदा संवार,
तेरी गोद में चैन मिले,
तेरी माटी है सबसे प्यार।
संभालें इसको, नष्ट न कर दें,
इसकी धड़कन, इसकी जान,
हरियाली का मान बढ़ाएं,
प्रकृति से ही जीवन की शान! 🌿💚✨
हरी धरती का संदेश
नीले गगन के आँचल तले,
धरती हरी मुस्काती है।
फूलों की महक, पंछी के गान,
जीवन में रस बरसाती है।
पेड़ों की शाखें बाहें खोले,
शीतल छाँव लुटाती हैं।
नदी की लहरें क्रीड़ा करतीं,
कल-कल धुन सुनाती हैं।
सूरज की किरणें सोना बरसाएं,
चाँदनी सपने सजाती है।
पर्वत ऊँचे प्रहरी जैसे,
धरती का मान बढ़ाती हैं।
झरनों की बूँदें अमृत जैसी,
वन की महक मदहोश करे।
हवा बहाए ताजगी हरदम,
हर कण-कण को सराबोर करे।
संवारो इसको, बचाओ इसको,
प्रकृति की धड़कन मत रोकें।
हरे वृक्ष लगाकर धरती संवारो,
जीवन के दीप जलते रहेंगे! 🌿💚✨
प्यारे पशु, हमारे साथी
जंगल के राजा, शेर दहाड़े,
हिरण चंचल, नदियाँ पार करे।
हाथी मस्तक ऊँचा करके,
गर्व से वन में विचरण करे।
गिलहरी फुदके डाल-डाल पर,
कोयल गाए मीठे बोल।
मोर नाचे जब बरसे सावन,
खुशियों से भीग उठे ये ढोल।
कुत्ते का विश्वास अमर है,
बिल्ली की चंचलता न्यारी।
गाय का दूध अमृत जैसा,
घोड़े की दौड़ सबसे प्यारी।
पंछी नभ में पंख पसारे,
सागर की मछलियाँ तैरें मोती।
हर जीव का हक़ है जीने का,
क्यों उनसे छीनें ये रोटी?
हमसे ये नफ़रत क्यों पाएँ,
इनका भी हक़ है धरती पर।
प्यार लुटाकर देखो इन पर,
मिल जाएगा सुख हर दिशा पर।
प्रेम करो इन मासूम जीवों से,
ये भी हमारे अपने हैं।
प्रकृति की गोद के बच्चे ये,
हम इनकी रक्षा के सपने हैं! 🐾💚✨
प्रकृति और जीवों का संगम
हरी-भरी धरती मुस्काती,
नदियाँ मधुर रागिनी गाती।
पवन बहाए स्नेह के झोंके,
पेड़ लहराकर खुश हो जाते।
सूरज की किरणें चमक बिखेरें,
चाँदनी चादर शीतल डाले।
झरनों की बूँदें मोती जैसी,
पर्वत के शिखर अम्बर को छू लें।
वन में नाचे हिरण सुहाने,
मोर पंख फैलाए गगन तले।
हाथी मस्त चला मदमस्त,
बंदर डाल-डाल पर झूले।
गिलहरी कूदे, बुलबुल बोले,
कोयल मीठे गीत सुनाए।
समंदर में मछलियाँ खेलें,
उड़ें विहंग जब नभ को पाएँ।
हर जीव का जीवन अनमोल,
क्यों इनसे छीनें हम अधिकार?
पेड़, पहाड़, नदी, पशु-पंछी,
सब मिलकर बनाएँ संसार।
प्यार करो इन मासूम जीवों से,
हरियाली को सहेजें प्यार से।
प्रकृति को सम्मान देंगे हम,
तो धरती रहेगी गुलज़ार से! 🌿🐾💚✨